आज से करीब सात साल पहले, 16 दिसंबर 2012 की वो घटना देश शायद कभी नहीं भूल सकता। ये वो तारीख है जो आज भी इंसानियत को अंदर तक कचोट देती है। जब राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में चलती बस में पांच दरिंदों ने क्रूरता की हदें पार कर दी थीं। तब जन्म हुआ था निर्भया का। उस घटना के सात साल बाद अब निर्भया के चारों दोषियों की फांसी की तारीख तय हो चुकी है। सुप्रीम कोर्ट द्वारा डेथ वारंट जारी होने के बाद भी दोषियों ने सुधारात्मक याचिका दायर की थी। लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट ने उसे भी खारिज कर दिया है। अब 22 जनवरी 2020 को चारों को फांसी होनी तय है।
राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB - National Crime Record Bureau) द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, आजाद भारत में अब तक करीब 1500 अपराधियों को अदालतों द्वारा फांसी की सजा सुनाई जा चुकी है।
जबकि इनमें से 21 अपराधी ऐसे रहे, जिन्हें फांसी के फंदे पर लटकाया गया। अन्य की सजा या तो माफ हुई, या फिर सजा से पहले उनकी मौत हो गई।
बक्सर जेल सुपरिटेंडेंट ने बीबीसी को बताया कि आखिरी बार फांसी का फंदा 2016 में पटियाला जेल को सप्लाई किया गया था। तब उसकी कीमत 1,725 रुपये लगाई गई थी।